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सुकुन,मेरा मेरे अपने अल्फ़ाज़

कुछ सास भारी लगती है तू जो दिखता नहीं है कुछ सुकुन की कमी लगती है

Kuch saas bhaari lagti hai tu jo dikhta nahi hai kuch sukun ki kami lagti hai

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वैल्यू उनकी करो

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वो तकलीफ जो बया नहीं होती है💔

मोहब्बत भी सलीके से करो तो इबादत बन जाती है, mera apne alfaz,

मोहब्बत भी सलीके से करो तो इबादत बन जाती है गुनाहों के राहो से मोडकर इंसानों को फरिश्ता बना देती है